रीवा में किसान आंदोलन के पंडाल में बेटे-बेटी की शादी कर कहा- कृषि कानूनों की वापसी तक सभी काम धरनास्थल से ही होंगे

मध्यप्रदेश के रीवा में किसान आंदोलन के धरना स्थल पर नजारा गुरुवार को बदला हुआ था। यहां पर कृषि कानून के विरोध में नारे नहीं, मंगल गीत गाए जा रहे थे। शहनाई बज रही थी। मंच के पास किसान फूल-माला लेकर स्वागत के लिए खड़े थे। कुछ देर बाद बारात पहुंची और शादी की रस्में निभाई गईं। शादी में वर-वधू ने संविधान की शपथ ली।

धरना स्थल पर बैठे दो किसानों के बेटे और बेटी की शादी का यह नजारा था। सभी किसानों ने मिलकर बेटी को शगुन दिया। शादी में दूल्हे-दुल्हन को गिफ्ट में जो राशि मिली वह आगे आंदोलन चलाने में काम में ली जाएगी। किसानों ने कहा कि कृषि कानून वापस लेने तक यहीं डटे रहेंगे। अब पारिवारिक कार्यक्रम भी यहीं से करेंगे।

मध्य प्रदेश किसान सभा के महासचिव रामजीत सिंह के बेटे सचिन सिंह की शादी छिरहटा निवासी विष्णुकांत सिंह की पुत्री आसमा से काफी पहले तय हुई थी। दोनों किसान आंदोलन के चलते रीवा की करहिया मंडी में 75 दिन से धरना दे रहे हैं। किसान नेता रामजीत ने बताया कि प्रदर्शन की जिम्मेदारी की वजह से वह शादी के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे। यह बात बेटे सचिन और आसमा को पता थी। दोनों ने धरना स्थल पर शादी का सुझाव दिया। यह बात हमने अन्य किसानों से बताई। सबकी राय थी कि एक अच्छा मैसेज जाएगा।

संदेश- सरकार से तो लड़ ही रहे हैं, कुरीतियों से भी लड़ेंगे

किसान नेता और दूल्हे के पिता रामजीत सिंह का कहना है कि हम इस आयोजन से सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि बिना कानून वापसी आंदोलन से नहीं हटेंगे। डटे रहेंगे और जो भी किसानों के पारिवारिक कार्यक्रम होंगे वे सभी धरना स्थल से ही होंगे। हम यह भी संदेश देना चाहते हैं कि सरकार से तो लड़ ही रहे हैं। साथ ही कुरीतियों से भी हमें लड़ना है। इसलिए हमने कोई दहेज नहीं लिया। वर-वधू ने संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर एवं शिक्षा की देवी सावित्री बाई फुले की फोटो को साक्षी मानकर सात फेरे लिए।

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